किसानों के लिए जान की बाजी लगाने को तैयार है राकेश टिकैत

2 महिने से ज्यादा का समय बीत चुका है और किसान संगठन नये कृषि कानूनों को खत्म करने के लिए लगातार सरकार पर दबाव बनाने के लिए शांति पूर्वक धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। लेकिन 26 जनवरी को टै्रक्टर परैड के दौरान जो लाल किले पर हिंसा की घटना हुई उसको लेकर राकेश टिकैत ने साफ शब्दों में कह दिया है कि वे लोग हमारे साथ नहीं थे और उनका हमारे साथ कोई लेना देना नहीं है। हिंसा के बाद पुलिस ने सभी किसान नेताओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर दी है और इस कारण किसान नेताओं ने आंशका जाहिर की है पुलिस उन्हें जबरदस्ती गिरफ्तार कर सकती है लेकिन फिर भी आंदोलन चलता रहेगा।
जयंत चौधरी ने किसान आंदोलन को समर्थन देने का ऐलान कर चुके है। गुरुवार शाम 4 बजे तक गाजीपुर बॉर्डर पर भारी पुलिस बल की तैनाती के बाद माहौल ऐसा बन गया था कि किसानों को घर भेज दिया जाएगा। लेकिन हरियाणा से हजारों किसान रात में ही गाजीपुर बॉर्डर के लिए रवाना हो गए और वे सभ आज मुजफ्फरनगर में किसान महापंचायत करेंगे। खबरों के अनुसार बताया जा रहा है गाजीपुर बॉर्डर पर राकेश टिकैत धरनास्थल से हटने को तैयार हो गए थे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ है ।टिकैत के गांव में ऐलान किया गया कि हर किसान गाजीपुर पहुंचेगा।

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रात 11 बजे से मेरठ, मुजफ्फरनगर, गाजियाबाद और शामली से भारी संख्या में लोगों ने गाजीपुर के लिए कूच शुरू कर दिया। हरियाणा में भी कई खापों ने ऐलान कर दिया वे भी दिल्ली बॉर्डर पर पहुंचेंगी।पुलिस ने धरनास्थल को चारों तरफ से सील कर दिया इसके बाद टिकैत ने रोते हुए कहा कि मुझे मारने की साजिश रची जा रही है और मैं खुदकुशी कर लूंगा लेकिन देश के किसानों को बर्बाद नहीं होने दूंगा।
दिल्ली हिंसा के मामले में पुलिस ने 37 किसान नेताओं को आरोपी बनाया गया है। इनमें राकेश टिकैतए मेधा पाटकर, योगेंद्र यादव, दर्शन पाल, राजिंदर सिंह, बूटा सिंह बुर्जगिल और जोगिंदर सिंह के साथ अन्य लोगों के नाम है। हिंसा के बाद राष्ट्रीय मजदूर किसान संगठन और भारतीय किसान यूनियन ने खुद को आंदोलन से अलग करने का ऐलान भी कर दिया है।